आज हम इस ब्लॉक में जानेंगे कि Airport वाले कैसे खर्चे चलाते हैं? Airport बनवाने में कितना खर्चा आता है? एक समोसा 150 का क्यों पड़ता है? Airport बनाने में कितना खर्च आता है?Airport वाले अपने Airport का डिजाइन इस प्रकार से करते हैं , कि उनका सारा store रस्ते में होता है और आपका ध्यान सारा उसी पर जाए।
#Airport Making Cost
एक एयरपोर्ट को बनाने में हजारों करोड़ों की खर्चा है होता . एयरपोर्ट को अकेले प्राइवेट कंपनियां ही नहीं बनाती। एयरपोर्ट को बनाने के लिए केंद्र सरकार ने एक समझौता तैयार किया था , जिसके अनुसार गवर्नमेंट कंपनी और प्राइवेट कंपनी दोनों मिलकर पार्टनरशिप में एयरपोर्ट बनाएंगे। जिसमें Owner गवर्नमेंट कंपनी होगा और बाकी काम प्राइवेट कंपनी संभालेगी।
एक एयरपोर्ट बनाने में कितना खर्चा आता है ? यह उस जगह की Location , उसके Size ,बनाने का तरीका, जमीन का खर्चा , किस प्रकार से बनाया जाएगा, डिजाइन किस प्रकार से होगी इन सभी पर निर्भर करता है।
#Airport partnership
उदाहरण के तौर पर देखे तो नई मुंबई की एयरपोर्ट का कॉस्ट 2021 के अनुसार 6000 करोड़ था परंतु यह 2023 आते-आते है लगभग 30 हजार करोड़ हो गई थी।
एयरपोर्ट बनाने के लिए पार्टनरशिप होता है। जिसे PPP model कहते हैं, जिसमें Government Owner होता है तथा प्राइवेट कंपनी बाकी सब काम संभालती है। उदाहरण के तौर पर दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट जिसमें गवर्नमेंट owner है और बाकी सब काम प्राइवेट कंपनी चलाते हैं।
#Airport Other Cost
ऐसा नहीं है कि एक बार एयरपोर्ट बनने के बाद खर्चा नहीं है।जो एयरपोर्ट वाले आपके टिकट से ही सारा खार्च निकालते हैं। जैसे- Worker का खर्चा , पानी का खर्चा, रिपेयर का खर्चा, गैस, इलेक्ट्रिसिटी आदि सभी का खर्चा। सिक्योरिटी, सेफ्टी इत्यादि का खर्चा सभी आप के टिकट से ही लिए जाते हैं। इसके अलावा Airlines traffic के कंट्रोल खर्चे , मार्केटिंग खर्चे इन सभी में करोड़ों लग जाते हैं।
भारत में सभी एयरलाइन कंपनियों को AAI नाम की संस्था ही संभालती है। इसके लिए सभी एयरलाइन कंपनी वाले को AAI को पैसे देने होते हैं, यहां तक कि गवर्नमेंट कंपनियों को अपने प्रॉफिट का हिस्सा AAI को देना पड़ता है।
# Airport chalane ka karch
एयरपोर्ट चलाने में कितना खर्च आता है ,इसे समझने के लिए हम दिल्ली इंदिरा गांधी एयरपोर्ट का उदाहरण लेटे है। जिसके मालिक गारमेंट कंपनी है परंतु सभी कार्य प्राइवेट कंपनी करते हैं।
दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट की कुल कमाई 2021 के अनुसार 3057 करोड़ है, जिसमें 16 हजार करोड़ ही प्रॉफिट हुई थी। दिल्ली इंदिरा गांधी एयरपोर्ट ने 1 साल में लगभग 3040 करोड खर्च किए। एक डाटा के अनुसार लगभग दिल्ली के एयरपोर्ट में 30 करोड़ पैसेंजर आते हैं। यह डाटा उपर-नीचे भी हो सकता है,यह कोई fix जानकारी नहीं।
#Airport paisa kaise kamata hai
लोगों के बीच में इंटरनेशनल ट्रैवल बहुत ही प्रसिद्ध होते जा रहा है। जिसके कारण एयरलाइन कंपनी को बहुत अधिक प्रॉफिट होता है। यह पहले नहीं था ,विशेष रूप से इंडिया में। 1991 के आंकड़े देखे तो लगभग 19 लाख लोग भारत से बाहर दूसर देश में गए थे और यह आंकड़ा बढ़कर 2018 में लगभग 2.5 करोड हो गया।
जो एयरलाइन कंपनियां वाली होते हैं ,वह अपना एरोप्लेन ख़रीद तो लेती है।परंतु एयरपोर्ट उनका नहीं होता। किसके लिए एयरपोर्ट वाले को एयरलाइन कंपनियां पैसा देती हैं। जिसे एयरलाइन कंपनियां वाले आपके टिकट में जोड़ देते हैं।
एयरपोर्ट कंपनी एयरलाइन कंपनियां से पैसे लेती है।जैसे- एयरपोर्ट के वज़न के अनुसार उसे लैंडिंग चार्ज लिया जाता है।
इसके अलावा पार्किंग चार्ज है, काई बार ऐसा होता है कि का एरोप्लेन कई दिनों तक रुकी होती है उसका भी चार्ज लिया जाता है। सारा खार्च उस एयरपोर्ट की लोकेशन पर निर्भर करता है। जो कम या ज्यादा भी हो सकता है।
#Economy aur Buness class Ticket
जो एयरपोर्ट वाली कंपनियां होती है ,वह एरोप्लेन के प्रत्येक सीट के लिए समान पैसे लेते है। चाहे वह एक economy class की हो या buieness class की। जो बिजनेस क्लास की टिकट होती है वह इकोनामी क्लास का टिकट का खर्चा अकेला ही निकाल लेते है। जिसके कारण बिजनेस क्लास के लोगों को अधिक सुविधा दी जाती है। कई बार टिकट बुक नहीं होने पर एयरलाइन वाली कंपनियां टिकट सस्ते में भी दे देती है।
#Airport shop
एयरपोर्ट वाले अपने आधा पैसा इस प्रकार से बना लेते हैं और आधा पैसा एयरपोर्ट में उपस्थित दुकान, पार्किंग इत्यादि से बनाते हैं। जब तक आपके एयरपोर्ट में है एयरपोर्ट वाले आपसे पैसे कमाते हैं। एयरपोर्ट कस्टमर से पैसे कमाने के काई तरीके हैं, जिसमें से सबसे कमान तरीका है सामान बेच कर पैसा कमाना। जैसे कि Book store, Alcohol और रेस्टोरेंट, Hotel इत्यादि एयरपोर्ट के पास ही होते हैं।
इसके लिए एयरपोर्ट वाली कंपनियां आसपास के जमीनों को पहले से खरीद लेते हैं। एयरपोर्ट पर खुले दुकानों से एयरपोर्ट वाले अधिकतम रूप से किराया लेते हैं या उनके लाभ का कुछ हिस्सा लेते हैं.
आप अपने घर से एयरपोर्ट रिक्शा,कार ,बस या किसी भी तरीके से आपको पार्किंग का चार्जर भी देना पड़ता है। एयरपोर्ट पार्किंग के लिए लगभग 1 घंटे के ₹120 लिए जाते हैं, यह घंटे हिसाब से और ज्यादा हो जाता है। एयरपोर्ट के अंदर जाते हैं ₹20 का पानी लगभग ₹150 का हो जाता है। जितना ज्यादा आप एयरपोर्ट पर वक्त बीत आएंगे उतना ही आपका पैसा खर्चा होगा। एयरपोर्ट में जनबुझ कर रास्ता को इस प्रकार से बनाया जाता है कि जिस hotel, books store इत्यादि आपके ध्यान में हो।
इसके अलावा एयरपोर्ट कंपनी वाले Avertistment में से पैसा कमाती है। एयरपोर्ट पर आने वाले लोगों की जो खरीदने की क्षमता होते हैं, वह अधिक होती है जिसे कारण वहां पर लग गए विज्ञापनों के एयरपोर्ट वाले को पैसे अधिक मिलते हैं।
0 टिप्पणियाँ